Friday, 29 September 2017

इस्लाम में पेट के बल सोने के लिए क्यों मना किया गया है, जानिए !!!*

*इस्लाम में पेट के बल सोने के लिए क्यों मना किया गया है, जानिए !!!*

इसमें कोई अचरज की बात नहीं कि जो कुछ भी आज विज्ञान खोजबीन कर रहा हैं और दुनिया को बता रहा हैं वो सब कुछ इस्लाम हमें कुरान और पेगम्बर ए इस्लाम हजरत मुहम्मद (स•अ•व•) ﷺ के जरिए से 1500 वर्ष पहले ही बता चुका हैं। इस तथ्य को दुनिया के कई जाने माने वेज्ञानिको, इतिहासकारों और चिकित्सको ने सत्यापित भी किया हैं। ऐसा ही इस्लाम का एक तथ्य आज आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहा हूँ और वो ये हैं कि इस्लाम ने अपने मानने वालों को ये नसीहत दी हैं कि वे “पेट के बल सोने से बचें” मतलब कि उल्टे न सोयें।
दरअसल ये बात लगभग 1400 वर्ष पहले की हैं जब एक बार पेगम्बर ए इस्लाम हजरत मुहम्मद (स•अ•व•) ﷺ के घर कुछ मेहमान पहुंचे और एक रात वही ठहरें। रात में पेगम्बर ए इस्लाम मेहमानों को देखने के लिए उठे तो उनमें से एक व्यक्ति पेट के बल सो रहा था तो आपने उस व्यक्ति को जगाकर कहा कि पेट के बल सोना अल्लाह को पसंद नहीं हैं क्योंकि ये तरीका नर्क में सोने वालों का हैं। जब मैनें इस हदीस को पढ़ा तो अपने आप को रोक नहीं पाया और इसकी रिसर्च में जुट गया। मेरे मन में एक ही सवाल था कि पेगम्बर ए इस्लाम हजरत मुहम्मद (स•अ•व•)ﷺ ने पेट के बल सोने से क्यों मना किया?
वैसे तो मैंने इंटरनेट पर इस सवाल से संबंधित कई रिपोर्ट और लेख पढ़ें लेकिन मुझे उन सब पर इतना विश्वास नहीं हुआ। लेकिन जब मैंने अमेरिका के सबसे बड़े Chiropractic (एक चिकित्सा पद्धति) के Dr. Jan Lefkovitz की रिपोर्ट पढ़ने पर मुझे जवाब मिल गया कि क्यों इस्लाम पेट के बल सोने से मना करता हैं। दरअसल Dr. Jan Lefkovitz ने अपनी रिपोर्ट में लिखा हैं कि पेट के बल सोना सबसे खतरनाक सिद्ध होता हैं क्योंकि इससे हमारी (Spine) रीढ की हड्डी कमजोर हो जाती हैं जिसके कारण हमारा तंत्रिका तंत्र असंतुलित हो जाता हैं और हमारी गर्दन और कमर में गम्भीर समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। और जो लोग ज्यादातर पेट के बल सोते हैं उन्हें आगे चलकर नींद न आने की बीमारी भी लग जाती हैं।
इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो पेट के बल सोना चाहेंगा। तो हमें गर्व होना चाहिए पेगम्बर ए इस्लाम हजरत मुहम्मद (स•अ•व•) ﷺ पर कि जो बातें विज्ञान हमे आज बता रहा हैं वो ही बातें उन्होंने 1500 वर्ष पहले ही बता दी। आप से गुजारिश हैं अगर आपको ये लेख पसंद आये तो इसे दूसरों के साथ जरूर शेयर करें ताकि सभी को इस्लाम की वास्तविक शिक्षा की जानकारी मिल सके।
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Sunday, 24 September 2017

तेरी बुराइयो को हर अखबार कहता है

*तेरी बुराइयों* को हर *अख़बार* कहता है,
और तू मेरे *गांव* को *गँवार* कहता है   //
*ऐ शहर* मुझे तेरी *औक़ात* पता है  //
तू *चुल्लू भर पानी* को भी *वाटर पार्क* कहता है  //
*थक*  गया है हर *शख़्स* काम करते करते  //
तू इसे *अमीरी* का *बाज़ार* कहता है।
*गांव*  चलो *वक्त ही वक्त*  है सबके पास  !!
तेरी सारी *फ़ुर्सत* तेरा *इतवार* कहता है //
*मौन*  होकर *फोन* पर *रिश्ते* निभाए जा रहे हैं  //
तू इस *मशीनी दौर*  को *परिवार* कहता है //
जिनकी *सेवा* में *खपा*  देते थे जीवन सारा,
तू उन *माँ बाप*  को अब *भार* कहता है  //
*वो* मिलने आते थे तो *कलेजा* साथ लाते थे,
तू *दस्तूर*  निभाने को *रिश्तेदार* कहता है //
बड़े-बड़े *मसले* हल करती थी *पंचायतें* //
तु  अंधी *भ्रष्ट दलीलों* को *दरबार*  कहता है //
बैठ जाते थे *अपने पराये* सब *बैलगाडी* में  //
पूरा *परिवार*  भी न बैठ पाये उसे तू *कार* कहता है  //
अब *बच्चे* भी *बड़ों* का *अदब* भूल बैठे हैं //
तू इस *नये दौर*  को *संस्कार* कहता है  *.//*
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        *मेहरबान अंसारी*


Saturday, 16 September 2017

मेरी कहानी maharban Ansari

*इंसानियत# आज भी जिन्दा है

आप सभी की दुवाओ से प्रवेज़ %इस्लाम नाम का बच्चा मिल गया है दोस्तो मे आपको आज एक ऐसे इंसान से के बारे बताता जिसकी इंसानियत की वजह से  यह बच्चा अपने माँ बाप से मिल पाया चलो आब बात करते है प्रवेज़ की यह बच्चा 9/9/2017 को सुबह 10 बजे घर से चला गया शाम तक बच्चा घर वापस नही आया तो घर वाले परेशान हो गए सभी रिश्ते दारो से फ़ोन करके पता किया नही मिला इस बच्चे की माँ का रो रो कर बुरा हाल था  इस के घर वालो से मैंने पुछा आखिर ऐसा क्या हूआ जो घर से चला गया बच्चे के पिता इस्लाम ने बताया  आगे पढना नही चाहता  मैंने पूछा किसी ने मारा तो नही इस्लाम भाई ने कहा ऐसी कोई बात नही ह्ई फिर लगातार  ढुंढने पर भी नही मिला 13 तरिक क़ी शाम को एक कॉल आया कपूरी गांव से फोन पर जो आदमी था उसने अपना परिचय मुहम्मद जनिशार बताया और कहा आपका बेटा मेरे पास है आप आकर ले जाओ नही तो कल में आपके पास लेकर आऊंगा बस फोन आत घर वालो की खुशी का ठीकाना ना रहा फिर हम सब शाम को ही निकल लिए कपूरी गांव  जो सहारनपुर जिले के अमबेहटा पीर से 7 किलोमीटर पड़ता हम है शाम को कैराना से 7 बजे पाँच लोग मुस्तफा भाई इस्लाम बच्चे का पिता मेहरबान अंसारी एक भाई नईम मुस्तक़ीम भाई हम रात को दस बजे गाँव पाउचे घर पर पोछते ही जनिशार भाई ने हमारा स्वागत किया एक दूसरे का हाल चाल पूछने के बाद मैंने पूछा जनिशार भाई यह आपके घर तक कैसे पौछा जनिशार भाई ने बताया मे ट्रक चलाता हु मे सहारनपुर होटल पे खाना खाने के लिए गया मे अक्सर वहा जाता हु मैने होटल वाले से पूछा भाई यह बच्चा किसका है होटल वाले ने पहले तो गोल मोल कर के बताया फिर मैंने सख्ती से पूछा तो उसने कहा यह बच्चा आज ही आया है आज शाम तक के पैस मैंनेे इसको दे दिये है फिर मैंने इसका एड्रेस मालूम किया इसने कुछ नही बताया फिर मे परेशान हो गया ना जाने किसका बच्चा है इसके घर वाले परेशान होंगे फिर मैंने इस बच्चे को इसके घर वापस पउचने की ठानी होटल वाले से मैंने बात करके इसको घर ले आया मेरी घर वाली ने पूछा मैंने पूरी बात बताई मेरा बेटा हिदायत भी खुश हुवा बोला अब हम दो भाई हो गए पूरी बात खत्म होते ही इतने मे आवेश भाई हाथ में चाय की ट्रे लिए खड़े थे आवेश भाई ने हम सबको चाय पिलाइ चाय पिने के बाद हम बच्चे को लेकर चलने लगे  तो जनिशार भाई का लड़का हिदायत रोने लगा अब्बु भाई को ना जाने दो रात के 11 :30 बज चुके थे फिर हम सब से मिल  कर वापस घर चल दिए इस कहानी को लिखने का मेरा मकशद जनिशार भाई की बात को सबके सामने लाने का था अगर कोई गलती हो गयी हो तो माफ करना मैंने पहली बार कोई कहानी लिखी है अगर आपको सही लगे तो जरुर बताना
मेहरबान अंसारी maharban Ansari