Friday, 21 August 2020

उत्तर प्रदेश में गुंडों का राज हर तरफ डर का माहौल

उत्तर प्रदेश में अराजकता का माहौल है गुंडागर्दी चरम सीमा पर है : नाहिद हसन

समाजवादी पार्टी के कैराना विधायक चौधरी नाहिद हसन ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अराजकता का माहौल है गुंडागर्दी ,हत्याएं प्रदेश में लगातार बढ़ रही है अपराधियों के हौसले बुलंद है रोजाना लूट, हत्या ,डकैती, अपहरण हो रहे हैं प्रदेश में गुंडाराज है सरकार मौन है। कोरोना महामारी के समय में भी प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ठप है अस्पतालों में कोई व्यवस्था नहीं है जिसके कारण हमने प्रदेश सरकार के कैबिनेट दो केबिनेट मंत्रियो को भी खो दिया है प्रदेश सरकार को चाहिए कि इस आपदा के समय में कोरोना महामारी से लड़ने के लिए अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करना चाहिए जिससे आमजन को फायदा मिल सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों की हालत बदतर है किसान आत्महत्या करने को मजबूर है एक तरफ जहां प्राकृतिक नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है वहीं सरकार किसानों के लिए कोई ऐसी योजना नहीं ला पा रही है जिससे किसानों के नुकसान की भरपाई हो सके ना ही किसानों की फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है वहीं प्रदेश में यूरिया खाद की कालाबाजारी चरम सीमा पर है सरकार को चाहिए कि उसमें जो भी दोषी है उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई कराई जाए। सपा विधायक नाहिद हसन ने बुनकर समाज की समस्याओं को उठाते हुए कहा कि बुनकर समाज पावर लूम कबाड़ के भाव बेचने को मजबूर है।

Thursday, 16 April 2020

बकरीद,या "कुरबानी" पर एतराज क्यों? !...बकरीद,या "कुरबानी" पर एतराज क्यों? !.......

बकरीद,या "कुरबानी" पर एतराज क्यों? !...

बकरीद,या "कुरबानी" पर एतराज क्यों? !.........

एक मित्र ने सोशल मीडिया के माध्यम से कुरबानी पर एतराज करते हुए आमिर खान को संबोधित व्यंग भरा मेसेज भेजा है, वह लिखते है " डियर आमिर तुम कहां हो," पी के फिल्म में हिन्दू देवी देवताओं की मजाक उडाने वाले को कुरबानी मे जानवरों पर अत्याचार क्यों नजर नहीं आता,? बकरईद के मोके पर मीडिया के माध्यम से यह सूचना भी मिली थी कि सुप्रीम कोर्ट के सात जजों ने न्यायालय में रिट डाल कर कुरबानी पर प्रतिबंद लगाने की प्रार्थना की है,इस के अलावा भी समय समय पर देश मे बहुसंख्यकों का एक विशेष वर्ग कुरबानी को ले कर मुसलमानो को निर्दयी,अत्याचारी,और करूर साबित करता रहा है,और मुसलमानों को निशाना बनाते हुए वह कुरबानी पर पर्तिबन्ध लगाने की मांग कर ता आ रहा है,उच्चतम न्यायालय के जिन अधिवक्ताओं ने जानवरों पर अत्याचार की दुहाई देते हुए कुरबानी के दिन पशू हत्या पर रोक लगाने की मांग की है क्या वह बकताएंगे कि 365 दिन में एक विशेष  दिन (बकरीद का दिन)में उन की मांग को स्वीकार करते हुए अगर पशुहत्या पर प्रतिबन्ध लगा ही दिया जाए तो क्या एक दिन के प्रतीबन्द से देश या दुनिया से पशुहत्या का खात्मा होजाएगा, भारत में एक अन्दाजे के अनुसार प्रतिदिन दो लाख से अधिक( मुर्गा और मछली को छोड कर) पशुऔं की हत्या मीट खाने के लिए की जाती है,इस में मुसलमानों का हिस्सा बीस प्रतीशत से अधिक नही है, यकीन न आए तो आप अपने शहर या क्षेत्र में मीट की दुकानों एंव नॉन वेज होटलों का जायजा लें और देखें कि इस प्रकार की दुकानें या होटल्स मुसलमानों के अधिक हैं या गैर मुस्लिमों के, यह भी खयाल रहे कि मुसलमान झटके का मीट नही खाता इस लिए वह गैर मुसलिम होटल या मीट शॉप्स पर मीट खाने या खरीदने नही जाता जब कि मुस्लिम मीट शॉप और होटलो पर गैर मुस्लिम बडी संख्या में मीट खाने और खरीदने आता है ,मुर्गा ,बकरा,और मछली की मुस्लिम दुकानों के तो सत्तर प्रतीशत ग्राहक ही गैर मुस्लिम होते हैं,प्रश्न यह है कि पशुओं पर अत्याचार को रोकने के लिए एक बकरीद के दिन पशु हत्या पर प्रतीबन्द क्या मसले का हल है,  अगर बकरीद के दिन की कुरबानी ही इस की जिम्मेदार है तो क्या मुल्क भर में मोजूद गैर मुस्लिमों की मीट शापों पर बकरीद के दिन भी पशु हत्या नही होती,         सुअर पालन देश मे,एक बडा उद्योग हे उस की पेैदावार ही मीट प्राप्ती के लिए की जाती है,इस के अलावा वह कोई हल में नही चलता,एक मुसलमान उस को छू भी नही सकता वह केवल गैर मुस्लिमों की ही खूराक बनता है,उस की हत्या पर प्रतिबन्ध की बात कोई क्यों नही करता? जब कि उस की तो हत्या भी बहुत ही निर्मम तोर पर की जाती है,उस की गर्दन पर छुरी काम नही करती अत:उस की गर्दन के नीचे दोनों बाजुओं के बीच से उस के ह्रदय में छुरा घोंप कर उस की हत्या की जाती है, इसी के साथ वह हिन्दु मिथ्यालोजी मे विषणु का पर्थम अवतार भी है, फिर भी उस का ख्याल न तो किसी हिन्दु संस्था को आया और न किसी उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता को,जिसका अर्थ यह है कि कुरबानी पर प्रतिबन्ध की मांग का आधार पशु प्यार नही है अपितु निशाने पर मुसलमान हैं,जिन्हें मुसलमानों से ही खुदा वासते का बैर है वह किसी न किसी बहाने से विरोध की जवाला जलाए रखना  चाहते हैं, पशुप्यार में कुरबानी पर प्रतिबन्ध की मांग करने वालों को क्या यह पता नहीं है कि मानव जगत की 98% आबादी मासाहारी है,और मांस व उस के अवशेषों से जुडी वस्तुओं का कारोबार भारत का एक शीर्ष उद्योग है जो 95% हिन्दुओं के हाथ में है,भारत के 21 बडे मीट पलान्टों में से 20 हिन्दुओं के हैं इस देश की सब से बडी मीट एक्सपोर्ट कम्पनी " अलकबीर" के चार शियर होल्डरों में सब के सब हिन्दू हैं,
     भारत में प्रती दिन दस लाख से अधिक मुर्गे काटे जाते हैं, मुर्गा पालन एक मेजर उद्योग है,उत्तरी भारत मे पंजाब उसकी बडी मंडी है जहां से यूपी, उत्राखण्ड, हरयाणा, दिल्ली, और हिमाचल तक मुर्गा सपलाई होता है ,यहां पर यह उद्योग पूर्णत: गैर मुस्लिमों के हाथ में है,अगर पशुमित्रों की बात मानते हुए पशुहत्या पर पर्तिबनध लगा दिया जाए तो कितने लोग बेरोजगार होंगे और देश के राज कोष मे आने वाले रिवेनयु पर जो असर पडेगा पशुमित्रों को उस का अनदाजा नही है,
       बात दर असल यह है कि हिन्दुवादी गिरोह कुरबानी की तुलना अपने यहां की जाने वाली " बली" से करता है जिसे वह छोडता जा रहा है, जब कि कुरबानी उस से एक दम इतर है, देवी देवताओं के चरनों में किसी पशू को काट कर केवल खूं बहाने से उस का कोई संबन्ध है और न ही वह पत्थर की मूर्ती पर व्यर्थ दूध बहाने जैसा है, स्वंय कुरआन में कहा गया है कि, न तो अल्लाह को खून पहुचता और न गोश्त,हां उसे तकवा पहुचता है, (सूरह हज आयत 37) तकवा क्या है? जिसके तहत कुरबानी की जाती है जो  एक अत्यन्त उपयोगी एंव लाभकारी कृत्य है,वह कैसे?  इस का वर्णन हम अपने अगले लेख मे करेगें साथ ही यह भी बताएगें कि पशु हत्या एक सवभाविक क्रिया है उस मे न तो किसी जीव को पीडा दी जाती और किसी पर जुल्म किया जाता, यह सब कैसे?  यह जान ने के लिए इन्तिजारकी जिए हमारी अगली पोस्ट का ..................................


Sunday, 5 April 2020

30 पारे सुने तर्जुमे के साथ

*जब तक लाँकडाऊन है.घर पर है तो सभी लोग सुने. जो पारा नंबर पे टच करोगे।*
*वो पारे की तिलावत शुरू हो जाएगी।*
*वो भी उर्दू तरजुमे के साथ।*
इस को अपने रिस्तेदारो दोस्तों और मिलने वालों को भी भेज सकते हे .पता नहीं अल्लाह किस को हिदायत देदें और आप उस का ज़रिया बन जायें

*پارہ نمبر 1* *http://bit.ly/2qpLHGY* 
*پارہ نمبر2* *http://bit.ly/2qnS2Ha*
*پارہ نمبر3* *http://bit.ly/2sbSqoq*
*پارہ نمبر4 http://bit.ly/2r6TOeq*
*پارہ نمبر5 http://bit.ly/2qzzsYk*
*پارہ نمبر6 http://bit.ly/2qI4EE2*
*پارہ نمبر7 http://bit.ly/2rW88HS*
*پارہ نمبر8 http://bit.ly/2qK0aO4*
*پارہ نمبر9 http://bit.ly/2rBqzB0*
*پارہ نمبر10 http://bit.ly/2s3dkdd*
*پارہ نمبر11 http://bit.ly/2so5po5*
*پارہ نمبر12 http://bit.ly/2rzgVP9*
*پارہ نمبر13 http://bit.ly/2rSIJ1l*
*پارہ نمبر14 http://bit.ly/2sk5Lid*
*پارہ نمبر15 http://bit.ly/2rKJHw3*
*پارہ نمبر16 http://bit.ly/2sMTr7y*
*پارہ نمبر17 http://bit.ly/2r9opp2*
*پارہ نمبر18 http://bit.ly/2rpK4c8*
*پارہ نمبر19 http://bit.ly/2rpq1iW*
*پارہ نمبر20 http://bit.ly/2rAX4Mc*
*پارہ نمبر21 http://bit.ly/2rBv2Aa*
*پارہ نمبر22 http://bit.ly/2sbmkft*
*پارہ نمبر23 http://bit.ly/2rtPXpH*
*پارہ نمبر24 http://bit.ly/2sfUCOE*
*پارہ نمبر25 http://bit.ly/2smfZxF*
*پارہ نمبر26 http://bit.ly/2tLUEvC*
*پارہ نمبر27 http://bit.ly/2tru5wz*
*پارہ نمبر28 http://bit.ly/2rXeW98*
*پارہ نمبر29 http://bit.ly/2s5NLEk*
*پارہ نمبر30 http://bit.ly/2s1BBB4*

Thursday, 13 February 2020

मुजफ्फरनगर जेल से रिहा हुए सपा विधायक नाहिद हसन

मुजफ्फरनगर जेल से रिहा हुए सपा विधायक नाहिद हसन


Wednesday, 29 January 2020

देश के मशहूर शायर मुनव्वर राणा साहब की ये ग़ज़ल जरूर हम सबका हौसला बढायेगी।इंशाअल्लाह.....

 देश के मशहूर शायर मुनव्वर राणा साहब की ये ग़ज़ल जरूर हम सबका हौसला बढायेगी।
इंशाअल्लाह.....

अब फ़क़त शोर मचाने से नहीं कुछ होगा।
सिर्फ होठों को हिलाने से नहीं कुछ होगा।

ज़िन्दगी के लिए बेमौत मरते क्यों हो।
अहले ईमां हो तो शैतान से डरते क्यों हो।

तुम भी महफूज़ कहाँ अपने ठिकाने पे हो।
बादे अख़लाक़ तुम्ही लोग निशाने पे हो।

सारे गम सारे गिले शिकवे भुला के उठो।
दुश्मनी जो भी है आपस में भुला के उठो।

अब अगर एक न हो पाए तो मिट जाओगे।
ख़ुश्क पत्तों की तरह तुम भी बिखर जाओगे।

खुद को पहचानो की तुम लोग वफ़ा वाले हो।
मुस्तुफा वाले हो मोमिन हो खुदा वाले हो।

कुफ्र दम तोड़ दे टूटी हुई शमशीर के साथ।
तुम  निकल आओ अगर नारे तकबीर के साथ।

अपने इस्लाम की तारीख उलट कर देखो।
अपना गुजरा हुवा हर दौर पलट कर देखो।

तुम पहाड़ो का जिगर चाक किया करते थे।
तुम तो दरयाओं का रुख मोड़ दिया करते थे।

तुमने खैबर को उखाड़ा था तुम्हें याद नहीं।
तुमने बातिल को पिछड़ा था तुम्हें याद नहीं।

फिरते रहते है शबे रोज़ बियाबानो में।
जिंदगी काट दिया करते थे मैदानों में।

रह के महलों में हर आयतें हक भूल गए।
ऐशों इशरत में पैगम्बर का सबक भूल गए।

अमने आलम के अमीं जुल्म की बदली छाई।
ख्वाब से जागो ये दादरी से आवाज़ आई।

ठंडे कमरे हंसी महलों से निकल कर आओ।
फिर से तपते हु सहराओं में चल कर आओ।

लेके इस्लाम के लश्कर की हर एक खूबी उठो।
अपने सीनें में लिए जज़्बाए जुमी उठो।

राहें हक में बढ़ो सामान सफ़र का बांधो।
ताज ठोकर पे रखों सर पे अमामा बांधो।

तुम जो चाहो तो जामाने को हिला सकते हो।
फ़तह की एक नई तारीख बना सकते हो।

ख़ुदको पहचानो तो सब अब भी सँवर सकता है।
दुश्मने दीं का शीराज़ा बिखर सकता है।

हक़ परस्तों के फ़साने में कई मात नहीं।
तुम से टकराए "मुनव्वर" ज़माने की ये औकात नहीं।