Friday, 9 June 2017

सद्दाम ने अपने 26 लीटर ख़ून से लिखवाई थी कुरान'

सद्दाम ने अपने 26 लीटर ख़ून से लिखवाई थी कुरान'

रेहान फ़ज़लबीबीसी संवाददाता

इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES/AFP

सद्दाम हुसैन को बड़े-बड़े महल बनाने के अलावा बड़ी-बड़ी मस्जिदें बनवाने का भी शौक था. एक इसी तरह की मस्जिद उन्होंने मध्य बग़दाद में बनवाई थी जिसे ' उम्म अल मारीक' नाम दिया गया था.

इसको ख़ास तौर से 2001 में सद्दाम हुसैन की सालगिरह के लिए बनवाया गया था. ख़ास बात ये थी कि इसकी मीनारें स्कड मिसाइल की शक्ल की थीं.

ये वही मिसाइलें थीं जिन्हें सद्दाम हुसैन ने खाड़ी युद्ध के दौरान इसराइल पर दग़वाया था.

सद्दाम हुसैन का महल देखना चाहेंगे?

सद्दाम और गद्दाफ़ी ज़िंदा होते तो अच्छा होताः ट्रम्प

इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

'ऑपरेशन डेसर्ट स्टॉर्म' जो 43 दिनों तक चला था, की याद दिलाने के लिए इन मीनारों की ऊँचाई 43 मीटर रखी गई थी.

सद्दाम हुसैन की जीवनी लिखने वाले कॉन कफ़लिन लिखते हैं, "सद्दाम की बनवाई एक मस्जिद में सद्दाम के ख़ून से लिखी गई एक कुरान रखी हुई है.

सीआईए एजेंट जिसने असली सद्दाम को पहचाना

सद्दाम हुसैन: 'क्रांतिकारी' बन गया था 'तानाशाह'

उसके सभी 605 पन्नों को लोगों को दिखाने के लिए एक शीशे के केस में रखा गया है. मस्जिद के मौलवी का कहना है कि इसके लिए सद्दाम ने तीन सालों तक अपना 26 लीटर ख़ून दिया था."

इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGESImage captionसद्दाम हुसैन के 20 महलों में से एक अल-फ़ॉ

सद्दाम पर एक और किताब, 'सद्दाम हुसैन, द पॉलिटिक्स ऑफ़ रिवेंज' लिखने वाले सैद अबूरिश का मानना है कि सद्दाम की बड़ी-बड़ी इमारतें और मस्जिदें बनाने की वजह तिकरित में बिताया उनका बचपन था, जहाँ उनके परिवार के लिए उनके लिए एक जूता तक ख़रीदने के लिए भी पैसे नहीं होते थे.

दिलचस्प बात ये है कि सद्दाम अपने जिस भी महल में सोते थे, उन्हें सिर्फ़ कुछ घंटों की ही नींद लेनी होती थी. वो अक्सर सुबह तीन बजे तैरने के लिए उठ जाया करते थे.

इराक़ जैसे रेगिस्तानी मुल्क में पहले पानी धन और ताक़त का प्रतीक हुआ करता था और आज भी है.

इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

इसलिए सद्दाम के हर महल में फव्वारों और स्वीमिंग पूल की भरमार रहती थी. कफ़लिन लिखते हैं कि सद्दाम को स्लिप डिस्क की बीमारी थी. उनके डाक्टरों ने उन्हें सलाह दी थी कि इसका सबसे अच्छा इलाज है कि वो खूब चहलकदमी और तैराकी करें.

सद्दाम हुसैन के सारे स्वीमिंग पूलों की बहुत बारीकी से देखभाल की जाती थी. उनका तापमान नियंत्रित किया जाता था और ये भी सुनिश्चित किया जाता था कि पानी में ज़हर तो नहीं मिला दिया गया है.

इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

सद्दाम पर एक और किताब लिखने वाले अमाज़िया बरम लिखते हैं, "ये देखते हुए कि सद्दाम के शासन के कई दुश्मनों को थेलियम के ज़हर से मारा गया था, सद्दाम को अंदर ही अंदर इस बात का डर सताता था कि कहीं उन्हें भी कोई ज़हर दे कर न मार दे. हफ़्ते में दो बार उनके बग़दाद के महल में ताज़ी मछली, केकड़े, झींगे और बकरे और मुर्गे के गोश्त की खेप भिजवाई जाती थी."

वो आगे लिखते हैं, "राष्ट्पति के महल में जाने से पहले परमाणु वैज्ञानिक उनका परीक्षण कर इस बात की जाँच करते थे कि कहीं इनमें रेडियेशन या ज़हर तो नहीं है.''

इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

किताब में लिखा है, ''सद्दाम के महलों की संख्या 20 के करीब थी. उनमें कर्मचारी हर समय मौजूद रहते थे और सभी महलों में तीन वक्त का खाना बना करता था, चाहे उनमें सद्दाम रह रहे हों या नहीं."

सद्दाम की कमज़ोरी थी कि वो हमेशा बहुत अच्छा दिखना चाहते थे. इसलिए बाद में उन्होंने परंपरागत ज़ैतूनी रंग की सैनिक वर्दी पहनना छोड़ कर सूट पहनना शुरू कर दिया था.

ऐसा उन्होंने तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफ़ी अन्नान की सलाह पर किया था जिनका मानना था कि सूट पहनने से विश्व नेता के रूप में उनकी छवि बेहतर होगी.

इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

सद्दाम हमेशा अपने बालों में ख़िज़ाब लगाते थे और लोगों के सामने पढ़ने वाला चश्मा लगा कर कभी सामने नहीं आते थे. जब वो भाषण देते थे तो उनके सामने कागज़ पर बड़े बड़े शब्द लिखे होते थे- एक पन्ने पर सिर्फ़ दो या तीन लाइनें.

सद्दाम इस बाद का भी ख़्याल रखते थे कि चलते समय कुछ कदमों से ज़्यादा उनकी फ़िल्म न उतारी जाए.

इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

कॉन कफ़लिन लिखते हैं कि 'सद्दाम दिन में कई बार छोटी छोटी झपकियाँ ले लिया करते थे. कई बार तो ऐसा होता था कि वो बीच बैठक से उठ कर बगल वाले कमरे में चले जाते थे और एक छोटी नींद ले कर आधे घंटे बाद तरोताज़ा निकलते थे.'

सद्दाम को टेलीविज़न देखने का भी शौक था और वो ज़्यादातर सीएनएन, बीबीसी और अलजज़ीरा देखा करते थे.

उन्हें रोमांचक अंग्रेज़ी थ्रिलर्स देखने का भी शौक था और अंग्रेज़ी फ़िल्म 'द डे ऑफ़ द जैकाल' उनकी पसंदीदा फ़िल्म थी.

इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGESImage captionमंत्रिमंडल की बैठक लेते हुए सद्दाम हुसैन

सन 2002 का शुरुआत में सद्दाम ने कैबिनेट बैठक के दौरान अपने एक मंत्री को अपनी घड़ी देखते हुए देख लिया.

जब बैठक समाप्त हो गई तो उन्होंने उस मंत्री को रुकने के लिए कहा. उन्होंने उनसे पूछा, 'क्या आपको बहुत जल्दी है?'

जब उस मंत्री ने कहा कि ऐसी बात नहीं है तो सद्दाम ने उन्हें डांटते हुए कहा कि ऐसा कर आपने मेरा अपमान किया है.

कफ़लिन लिखते हैं, "सद्दाम ने आदेश दिया कि उन मंत्री को उसी कमरे में दो दिनों तक कैद रखा जाए. वो मंत्री बैठक कक्ष में दो दिनों तक कैद रहा और उसे लगता रहा कि उसे कभी भी बाहर ले जाकर गोली मारी जा सकती है. आखिर में सद्दाम ने उनके प्राण तो बख्श दिए लेकिन उन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ा."

इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGESImage captionसद्दाम हुसैन पत्नी साजिदा और अपने बच्चों के साथ

सद्दाम के लिए उनके विरोधियों से ज़्यादा उनका खुद का परिवार परेशानी का कारण था और उसमें बहुत बड़ी भूमिका थी उनकी अपनी पत्नी साजिदा के प्रति बेवफ़ाई की.

1988 के आसपास सद्दाम को बहुत बड़े पारिवारिक संकट से गुज़रना पड़ा जब उनके इराकी एयरवेज़ के महानिदेशक की पत्नी समीरा शाहबंदर से संबंध हो गए.

समीरा लंबी थी, हसीन थीं और उनके सुनहरे रंग के बाल भी थे और सबसे बड़ी बात ये थी कि वो शादीशुदा थीं.

इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

सैद अबूरिश लिखते हैं, "कई सालों तक राष्ट्रपति महल में काम करने वाले एक अधिकारी ने मुझे बताया था कि सद्दाम को शादीशुदा औरतों से संबंध बनाना ख़ासतौर से पसंद था. ये उनके पतियों को ज़लील करने का उनका अपना तरीका हुआ करता था."

सद्दाम की इस तरह की रंगरेलियों का इंतेज़ाम उनका अंगरक्षक कामेल हना जेनजेन किया करता था.

जेनजेन बीस सालों तक सद्दाम का निजी अंगरक्षक था. दिलचस्प बात ये थी कि जेनजेन सद्दाम के रसोइए का बेटा था.

इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

उसके बहुत सारे कामों में एक काम सद्दाम को दिए जाने वाले भोजन को खा कर देखना भी था कि उसमें कहीं ज़हर तो नहीं मिलाया गया था.

सद्दाम का मानना था कि उनका रसोइया उनके खाने में इसलिए कभी ज़हर नहीं मिलाएगा क्योंकि उसके खुद के बेटे को उसे पहले चखना होता था.

No comments:

Post a Comment