Saturday, 28 January 2017

Namaz ke bare me

हम जिस मस्ज़िद में नमाज़ अदा करते हैं वहा हमे वुज़ू के लिए पानी, हवा के लिए पंखा,
रौशनी के लिए लाइट., बैठने के लिए कारपेट .,जमात से नमाज़ के लिए इमाम साहब और
बहुत कुछ... ताकि हमे नामज़ में आसानी हो । इस के बदले में हम मस्ज़िद को क्या देते है ?

10₹ 20₹ 50₹ 100₹
.???

जब की हम टीवी केबेल
 (300₹),
इंटरनेट/रिचार्ज
(500₹),
हर महीने देते है.
एक फ़िल्म देखने में हम 500 ₹
खर्च कर देते है एक बार बहार जाकर खाने में 1000 ₹
खर्च कर देते है ।

ज़रा सोचिये !

मुसलमानो का पैसा कहा खर्च हो रहा है.
जो इमाम मस्ज़िद में नमाज़ पढ़ाते है क्या उनकी कोई ज़रूरत नहीं होती क्या मस्ज़िद
की देख भाल और हम लोगो को नमाज़ में आसानी के लिए मस्ज़िद को दुरुस्त रखने में
पैसा नहीं लगता ।

ज़रा सोचिये ।

आज हम जितना पैसा अपने परिवार और अपने ऊपर
खर्च करते है क्या हमारा फ़र्ज़ नहीं बनता की हम मस्ज़िद में इमदाद करे । ज़रा सोचिये ।
मदरसो में जो बच्चे पढते है उनका खाना और तालीम और दवाई वगेरह का खर्च मुसलमानो पर फ़र्ज़ है की नहीं

ज़रा सोचिये।

कोशिश करिये की कुछ पैसे मस्ज़िद को भी जाये.

हो सके तो ये अपने दोस्तों और
रिश्तेदारो को भेजे ।
हर कोई चाहता है की उसे कामयाबी मिल जाए लेकिन जब मस्ज़िद से 5 बार आवाज़ आती है।

"हय्या अस्सलह "
"हय्या अल्ल्फला"

आओ सलाह की तरफ
आओ कामयाबी की तरफ
तो कोई नहीं समझता की जिस चीज़ को वो सारी ज़िन्दगी हर जगह तलाश कर रहे है
वो खुद उसे अपने पास बुला रही है या अल्लाह ये सब जो दुसरो को बताये उसे
कामयाबी अता फरमा और अम्ल करने की तौफ़ीक़ अता फरमा । आमीन ।

अल्लाह आपको इस नेक काम को आगे फलाने
का अजर अता फरमाये।

 ✨✨✨✨✨✨✨✨
     🔹क़ुरआन-ए-पाक 🔹
   
     ( की अनमोल मालूमात )

 👉 क़ुरआन-ए-पाक में 👈

🔹सिपारे  :--          30
🔹सजदे  :--           14
🔹मन्ज़िल  :--        7

🔹सूरतें  :--           114
🔹मक्की  :--         86
🔹मदनी  :--          28

🔹रूकूअ  :--        540
🔹आयात  :--       6666
🔹हरूफ  :--        323760

🔹ज़बर  :--          53243
🔹ज़ेर  :--            39582
🔹पेश. :--            8804
🔹मद. :--            1771
🔹शद. :--            1243
🔹 नुक़ते  :--        105681

🔹अलिफ. :--       48872
🔹बा  :--             11228
🔹ता  :--             1199
🔹सा  :--            1276
🔹जीम. :--         3273
🔹हा  :--             973
🔹खा  :--            2416
🔹दाल. :--          5642
🔹ज़ाल. :--          4697
🔹रा  :--              11793
🔹ज़ा  :--             1590
🔹सीन. :--           5891
🔹शीन. :--          2253
🔹सुवाद. :--        2013
🔹दुवाद. :--        1607
🔹तो  :--             1274
🔹ज़ो  :--             842
🔹ऐन. :--            92200
🔹ग़ैन. :--            2208
🔹फा  :--            8499
🔹क़ाफ. :--         6813
🔹काफ. :--         9522
🔹लाम. :--          3432
🔹मीम. :--          26535
🔹नून. :--            26560
🔹वाओ. :--        2556
🔹हा  :--             1907
🔹लाम अलिफ.    3720
🔹हमज़ा  :--       4115
🔹या  :--             25919

👉 ये जानकारी लोगों तक
                 पहुंचाऐ
1क़ब्र की तख्ती पर क्या खूब लिखा था

पढ़ ले " फ़ातिहा " खुदा के " वास्ते "
कल तू भी होगा " मजबूर " इस दुआ के " वास्ते

हज़रत लुकमान की अपने बेटे को नसीहत
!!!!! ऐ । बेटे !!!!
किसी औरत के पीछे चले जाने के
बजाय ,किसी शेर के पीछे चले जाना बेहतर
है ,
इसलिये कि शेर पलट आया तो जान
चली जायेगी ,
औरत पलट आयी तो ईमान चला जायेगा
  " | कुरान मज़ीद में अल्लाह
       ता'अला फरमाता है, | „

  ● " ए बन्दे कभी रात को तेरी
       आँख खुले? और तू सो जाए
       तो तूने मुझसे बेवफाई की।
                 और
      अगर तेरी आँख खुले और तुने
      वजू बनाया और मेरी इबादत
      की और मुझसे कुछ माँगा ओर
      मेने कुबूल न किया तो मेने
      तुझसे बेवाई की।
      ओर में एस हरगीज नहीं
      करता। "●
                         ~ सुरह मुल्क

● - इस्लाम की बात जानते हुए भी छुपाने वाला आदमी सबसे बडा बखील ( कंजूस ) है।●

Maharban Ansari kairana

दोनों आलम में तेरे हुकुम को चलते देखा
बिन तेरे हुकुम के पत्ता भी हिलता ना देखा
बदला दुनिया का चलन और हर एक से बदली
हमने कुरऑन को अब तक ना  बदलते देखा
कौन कहता है कि दुश्मन जीने नहीं देता
गोद फिरौन की और मूसा को पलते  हुए देखा
ए उमर आप तो क्या है हमारे नबी के आगे
अच्छे-अच्छों को इरादों को बदलते देखा
सरकारे मदीना ने जिन को किया है रोशन
उन चरागों को हवा में भी जलते देखा
क्या अजब शान अल्लाह अली की देखो
डूबे सूरज को इशारों पर पलटते हुए देखा
लाख चाहा सद्दाद ने कजा से बचना
पर सितम वक्ते  कजा हमने न टलते देखा
Maharban Ansari 8791477582 


Friday, 27 January 2017

Choudhary munavvar Hasan mp

मुनव्वर के किरदार का कायल है कैराना

कैराना: कहते हैं कि मौत हो ऐसी कि दुनिया देर तक मातम करे। यहां के रसूखदार सियासी घराने से ताल्लुक रखने वाले मरहूम सांसद मुनव्वर हसन का किरदार कुछ ऐसा ही था। वह इस दुनिया से भले ही विदा हो चुके हैं, लेकिन चाहने वालों का दिल मुनव्वर के लिए आज भी धड़कता है। सबसे कम आयु में देश के सभी सदनों में प्रतिनिधित्व करने का तमगा भी उन्हीं के नाम पर है। कई और उपलब्धियां भी हैं मुनव्वर के नाम।

यह बताने की जरूरत नहीं कि 10 दिसंबर 2008 की रात बड़ी मनहूस साबित हुई। आगरा के निकट सड़क हादसे में मुनव्वर हसन कभी न खुलने वाली नींद में सो गए। मुनव्वर तत्कालीन उर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय की बेटी की शादी में शरीक होकर दिल्ली लौट रहे थे। काल के क्रूर हाथों ने मुनव्वर हसन को भले ही छीन लिया हो पर उनके चाहने वालों का दिल आज भी रोता है। दरअस्ल, मुनव्वर हसन धाकड़ नेता था। उनमें नेतृत्व की गजब क्षमता थी। वह काफी हद तक ¨हदू-मुस्लिम एकता के हामी थी। उनकी सियासी उपलब्धियां इतिहास के पन्नों में यूं ही नहीं फड़फड़ा रहीं। 15 मई 1964 को कैराना के आलदरमयान में कलस्यान खाप के चौ. बुंदू हसन के पुत्र पूर्व सांसद चौधरी अख्तर हसन के यहां जन्मे मुनव्वर हसन ने सियासत की रपटीली राहों पर कई डग भरे। सियासत उन्हें विरासत में जरूर मिली, लेकिन उसको सहेजने में और आगे बढ़ाने में मुनव्वर कभी पीछे नहीं हटे। राजनीति का उन्होंने वह मुकाम हासिल किया कि गिनीज बुक ने उनका नाम दर्ज किया।

वैसे तो उन्होंने 1986 में राजनीति में कदम रखा। सबसे पहला चुनाव उन्होंने पालिकाध्यक्ष के पद का लड़ा। इसमें उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। 1989 के विधानसभा चुनाव में आयु कम होने के कारण मुनव्वर हसन विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ पाए। 1991 में हुए मध्यावधि विधानसभा चुनाव में मुनव्वर हसन ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर हुकुम ¨सह को हरा दिया था। 1993 के विधानसभा चुनाव में पुन: फिर जनता दल से ही चुनाव लड़कर हुकुम ¨सह को पटखनी दी। इसके बाद चौ. मुनव्वर हसन समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। समाजवादी पार्टी से 1996 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और राजनीति के मजे हुए खिलाड़ी ने कद्दावर नेता हरेन्द्र मलिक के भाई को पटखनी दी। मुनव्वर पहली बार लोकसभा में पहुंचे। 1998 में चौ. मुनव्वर हसन दिग्गज नेता पूर्व राज्यपाल वीरेंद्र वर्मा से चुनाव हार गए। मुलायम ¨सह यादव ने मुनव्वर हसन के सियासी हुनर को भांपते हुए 1998 में ही राज्यसभा में भेज दिया था। राज्यसभा सदस्य रहते हुये ही मुनव्वर हसन ने 2003 में विधान परिषद का चुनाव लड़ा। इसमें मुनव्वर हसन भारी मतों से जीत कर एमएलसी बन गए। सबसे कम उम्र में देश के चारों सदनों का सदस्य बनने का गौरव हासिल कर अपना नाम गिनीज बुक में दर्ज कराया। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में सपा सुप्रीमो मुलायम ¨सह यादव ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से मुनव्वर हसन को टिकट दिया। तमाम विरोध के बावजूद हसन ने फतह हासिल की। सांसद रहते हुए उनकी सड़क हादसे में मौत हो गई।
Maharban Ansari 8791477582




Rajniti geet

भारत का नया गीत*

*आओ बच्चों तुम्हे दिखायें,
शैतानी शैतान की... ।*
*नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की...।।*

*बड़े-बड़े नेता शामिल हैं,
घोटालों की थाली में ।*
*सूटकेश भर के चलते हैं,
अपने यहाँ दलाली में ।।*

*देश-धर्म की नहीं है चिंता,
चिन्ता निज सन्तान की ।*
*नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की...।।*

*चोर-लुटेरे भी अब देखो,
सांसद और विधायक हैं।*
*सुरा-सुन्दरी के प्रेमी ये,
सचमुच के खलनायक हैं ।।*

*भिखमंगों में गिनती कर दी,
भारत देश महान की ।*
*नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की...।।*

*जनता के आवंटित धन को,
आधा मंत्री खाते हैं ।*
*बाकी में अफसर ठेकेदार,
मिलकर मौज उड़ाते हैं ।।*

*लूट खसोट मचा रखी है,
सरकारी अनुदान की ।*
*नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की...।।*

*थर्ड क्लास अफसर बन जाता,
फर्स्ट क्लास चपरासी है,
*होशियार बच्चों के मन में,
छायी आज उदासी है।।*

*गंवार सारे मंत्री बन गये,
मेधावी आज खलासी है।*
*आओ बच्चों तुम्हें दिखायें,
शैतानी शैतान की...।।*

*नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की...।*
Maharban Ansari kairana 8791477582



Desh bhakti shayri

मैं मर जाऊँ तो सिर्फ मेरी इतनी पहचान लिख देना,

मेरे खून से मेरे माथे पर "जन्मस्थान " लिख देना,

कोई पूछे तुमसे जन्न्त के बारे में तो एक कागज के टुकड़े में "हिन्दुस्तान" लिख देना,

ना दौलत पर गर्व करते है,
ना शोहरत पर गर्व करते है,

किया ख़ुदा ने हिन्दुस्तान मे पैदा,
इसलिये अपनी किस्मत पर गर्व करते है......

मेरी नज़रों को ऐसी खुदाई दे
जिधर भी देखूँ मेरा वतन दिखाई दे

हवा की हो कुछ ऐसी मेहरबानियाँ
बोलू जो जय हिन्द तो सारे देश में सुनाई दे

   🇮🇳जय हिन्द

Maharban Ansari kairana 8791477582





Shayri

फना ना कर अपनी जिन्दगी को राहे जूनून मे ऐ जवान...

कब करेगा इबादत जब गुनाह  करने की ताकत नही होगी..
जवानी में ही कर ले जितने सजदे  करना है।।
मैंने अक्सर बुढो को बिना सजदे के नमाज़ पढ़ते देखा है।।
मेहरबान कैरानवी
8791477582


Achhi bate

💞अच्छा *दिखने* के लिये मत जिओ
          बल्कि *अच्छा* बनने के लिए जिओ💞

💞जो *झुक* सकता है वह सारी
          ☄दुनिया को *झुका* सकता है 💞

💞 अगर बुरी आदत *समय पर न बदली* जाये
          तो बुरी आदत *समय बदल देती* है💞

  💞चलते रहने से ही *सफलता* है,
          रुका हुआ तो पानी भी *बेकार* हो जाता है 💞

💞 *झूठे दिलासे* से *स्पष्ट इंकार* बेहतर है
   अच्छी *सोच*, अच्छी *भावना*,
          अच्छा *विचार* मन को हल्का करता है💞

💞मुसीबत सब पर आती है,
          कोई *बिखर* जाता है
            और कोई *निखर* जाता है💞
💞दुनिया की ताकतवर चीज है *"लोहा"*🔩
       जो सबको काट डालता है ....
लोहे से ताकतवर है *"आग"*🔥
        💞जो लोहे को पिघला देती है....💞
💞आग से ताकतवर है *"पानी"*🌧
        ☄जो आग को बुझा देता है.... 💞
💞और पानी से ताकतवर है *"इंसान"*
        जो उसे पी जाता है....💞
💞इंसान से भी ताकतवर है *"मौत"*
         जो उसे खा जाती है....💞
💞और मौत से भी ताकतवर है *"दुआ"*
      जो मौत को भी टाल सकती है...💞

💞 "तेरा मेरा"करते एक दिन चले जाना है...
         जो भी कमाया यही रह जाना है💞
      *💞कर ले कुछ अच्छे कर्म💞*
      *💞साथ यही तेरे आना है💞*

        *💞मुझे वो 👌🏼रिश्ते पसंद है,*
    *जिनमें "मैं" नहीं "हम"हो💞*✍🏻🙏

💞💞💞💞💞💞💞 मेहरबान कैरानवी
8791477582



Saturday, 21 January 2017

बहुत शानदार *बात* लिखी

बहुत शानदार *बात* लिखी
गाँव में *नीम* के पेड़ कम हो रहे है घरों में *कड़वाहट* बढती जा रही है !
जुबान में *मीठास* कम हो रही है , शरीर मे *शुगर* बढती जा रही है !किसी महा पुरुष ने सच ही कहा था । की
जब किताबे सड़क किनारे रख कर बिकेगी और जूते काँच के शोरूम में
तब समझ जाना
के लोगों को ज्ञान की नहीं जूते की जरुरत है।
  Maharban Ansari kairanaमेहरबान कैरानवी
8791477582

Shayri

कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हर एक घर के लिए,
कहाँ चिराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए !
वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता,
मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिए !!मेहरबान कैरानवी

8791477582

Shayri

अब फ़क़त शोर मचाने से नहीं कुछ होगा।।
सिर्फ होठों को हिलाने से नहीं कुछ होगा।।

ज़िन्दगी के लिए बेमौत ही मरते क्यों हो।।
अहले इमां हो तो शैतान से डरते क्यों हो।।

तुम भी महफूज़ कहाँ अपने ठिकाने पे हो।।
बादे अखलाक तुम्ही लोग निशाने पे हो।।

सारे ग़म सारे गिले शिकवे भुला के उठो।
दुश्मनी जो भी है आपस में भुला के उठो।।

अब अगर एक न हो पाए तो मिट जाओगे।।
ख़ुश्क पत्त्तों की तरह तुम भी बिखर जाओगे।।

खुद को पहचानो की तुम लोग वफ़ा वाले हो।।
मुस्तफ़ा वाले हो मोमिन हो खुदा वाले हो।।

कुफ्र दम तोड़ दे टूटी हुई शमशीर के साथ।।
तुम निकल आओ अगर नारे तकबीर के साथ।।

अपने इस्लाम की तारीख उलट कर देखो ।
अपना गुज़रा हुआ हर दौर पलट कर देखो।।

तुम पहाड़ों का जिगर चाक किया करते थे।।
तुम तो दरयाओं का रूख मोड़ दिया करते थे।।

तुमने खैबर को उखाड़ा था तुम्हे याद नहीं।।
तुमने बातिल को पिछाड़ा था तुम्हे याद नहीं।।।

फिरते रहते थे शबो रोज़ बियाबानो में।।
ज़िन्दगी काट दिया करते थे मैदानों में..

रह के महलों में हर आयते हक़ भूल गए।।
ऐशो इशरत में पयंबर का सबक़ भूल गए।।

अमने आलम के अमीं ज़ुल्म की बदली छाई।।
ख़्वाब से जागो ये दादरी से अवाज़ आई।।

ठन्डे कमरे हंसी महलों से निकल कर आओ।।
फिर से तपते हु सहराओं में चल कर आओ।।

लेके इस्लाम के लश्कर की हर एक खुबी उठो।।
अपने सीने में लिए जज़्बाए ज़ुमी उठो।।

राहे हक़ में बढ़ो सामान सफ़र का बांधो।।
ताज़ ठोकर पे रखो सर पे अमामा बांधो।।

तुम जो चाहो तो जमाने को हिला सकते हो।।।
फ़तह की एक नयी तारीख बना सकते हो।।।

खुद को पहचानों तो सब अब भी संवर सकता है।।
दुश्मने दीं का शीराज़ा बिखर सकता है।।

हक़ परस्तों के फ़साने में कहीं मात नहीं।।।।।।।।
तुमसे टकराए *"मुंनव़र"* ज़माने की ये औक़ात नहीं।।

✏______maharban Ansariमेहरबान कैरानवी

8791477582

मुसलमान होने के लाभ (Benefits of Becoming a Muslim)

मुसलमान होने का लाभ (Benefits of Becoming a Muslim)

आज मैं आपको मुसलमान होने के फायदे बताऊंगा. अगर कोई मुसलमान है तो उसे क्या क्या फायदे है या कोई अगर मुसलमान बनता है तो उसके उसे क्या क्या फायदे होंगे? जहाँ तक इस क़ायनात (सृष्टि) के मालिक (जिसका वास्तविक नाम 'अल्लाह' है) का संबंध है, आप उसे उसकी बहुत सी निशानियों के ज़रिये आसानी से पहचान सकते हैं, आप उसे अपने नजदीक कर सकते हैं, उसके नामों के ज़रिये अपने और उसके रिश्ते को समझ सकते हैं और आप उसे दिन में २४ घंटे और पूरे साल अपनी नमाजों के ज़रिये अपनी बात कह सकते हैं. आप इस दुनिया में क्यूँ आये? आपका इस दुनिया में पैदा होने का मकसद क्या है? सबसे बड़ी बात है कि आप के पास जवाब होंगे उन सब शब्दों के जिन्हें क्यूँ, कैसे, कब, कहाँ, क्या और दीगर दार्शनिक और तत्वज्ञान सम्बन्धी सवालों के.

सबसे पहला फ़ायदा तो यह है कि आपकी वफ़ादारी, ईमानदारी, सच्चाई, आज्ञापालन, आज्ञापरता केवल आपके मालिक (creator) के लिए ही होंगी. आप इस दुनिया में अपनी उक्त विशेषताओं से पहचाने जायेंगे. आपका संघर्ष चाहे वो आपके बॉस से हो, आपकी नौकरी या पेशे से हो, आपके निज़ाम (गवर्नमेंट) से हो, आपके सामाजिक तंत्र से हो, सब के सब आप के उस मालिक (अल्लाह) से सम्बद्ध होगा, आप बेशक (undoubtedly) अपने मालिक (अल्लाह) पर विश्वास करेंगे. आप किसी अन्य का अनुसरण करने के बजाये उस एक ईश्वर के नियमों का अनुसरण करेंगे.

दूसरा फ़ायदा यह होगा कि आप अपने आप में, अपने परिवार में, इस दुनिया के लोगों में, वातावरण में, और इस दुनिया में शांति का, अनुरूपता का, अक्षोभ और खुशियों और आनंद का संचार करेंगे.

तीसरा फ़ायदा यह होगा कि आपके शरीर पर, मष्तिष्क पर, तंत्रिका तंत्र पर कोई फालतू का जोर और टेंशन नहीं रहती है क्यूंकि आप दिन में पांच बार वुज़ुः (मुहं, हाँथ और पैर धोना) करके नमाज़ पढ़ते है और अपने मालिक (अल्लाह) से दुआ करते हैं. नमाज़ में जब आप सज़दा करते हैं तो अपना माथा ज़मीन पर रखते हैं इस प्रक्रिया में आप अपनी सारी टेंशन और अपने मस्तिष्क के अतिरिक्त बिना मतलब के भार को ज़मींदोज़ (ख़त्म) कर देते हैं. नमाज़ पढने से आप अपनी तमाम चिंताओं के हल के लिए अल्लाह दुआ करते है और चिंतामुक्त होते हैं. यहीं नहीं नमाज़ के ज़रिये आप के शरीर के तमाम मनोरोग भी दूर हो जाते हैं. जिस तरह से अगर आप कहीं जा रहे हों रास्ते में अगर आपको जगह-जगह पर नहरें मिले और आप उसमें हर बार नहा लें तो किन्हीं दो नहरों के बीच आपके शरीर पर जितनी भी धुल या गन्दगी जमेगी/हो जायेगी वह धुलती जायेगी. ठीक उसी तरह से आप अगर दिन में पांच मर्तबा नमाज़ पढेंगे तो दो नमाजों के बीच के गुनाह ख़त्म हो होते जायेंगे और आपका मन शांत रहेगा वह सब काम नहीं करेगा जो आपके मालिक के नियमों विरुद्ध होगा.

चौथा फ़ायदा यह होगा कि आपका व्यक्तित्व आकर्षक (कांतिमय) बन जायेगा. आप अनुकूल और मित्रवत रहेंगे. आप ग़लत काम से परहेज़ करेंगे, आप शराब नहीं पीयेंगे, ड्रग्स नहीं लेंगे, अश्लील हरक़त नहीं करेंगे, व्यभिचार नहीं करेंगे.

पांचवां फ़ायेदा यह है कि साल में एक महीने रोज़ा रखने के उपरांत आप अपने पर आत्म-नियंत्रण, आत्मानुशासन, आत्म-शिक्षा, आत्म-अनुपालन के दूर सीख लेते हैं . आप बेशक अपनी सेहत, व्यक्तित्व, चरित्र और स्वाभाव को सुधार लेते हैं.

छठवां फ़ायदा यह है कि हवस (lust), स्वार्थपरायणता (selfishness), इच्छाओं (desires), लालच (greed), अंहकार (ego), दम्भ (conceitedness) आदि दुर्गुणों से दूर रहते है और इन दुर्गुणों पर नियंत्रण रख पाते हैं.

सातवां फ़ायेदा है कि आप आर्थिक, जैविक, मानसिक, आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक, राजनैतिक आदि क्षेत्र के सभी प्रकार के exploitations रोकने में सक्षम होते हैं. आप लोगों की आज़ादी के समर्थक होंगे, उन्हें बोलने की आज़ादी के, इबादत की आज़ादी के, समतुल्य संबंधों के पक्षधर होंगे, निरपेक्षता (चाहे वो धार्मिक ही क्यूँ न हो) के पक्षधर होंगे. आप नेता होंगे और लोगों में शांति, अक्षोभ (प्रशांति) और खुशियों का नेतृत्व करेंगे.

आठवां फ़ायेदा यह कि इस्लाम स्वीकार करने के उपरांत आप समाज की बुराईयों से दूर रहेंगे और अच्छाईयों अमल करेंगे. आप मुसलमान बनने के बाद समाज की बुराईयों को बढ़ने से रोकने में मदद करेंगे. जैसे- कर्त्तव्यच्युति, अपचार. पापचरित्र, बाल-अपराध, घरेलु हिंसा, कौटुम्बिक व्यभिचार (सगे-संबंधी के साथ यौन सम्पर्क), समलिंगकामुकता, स्वच्छन्द संभोग, विवाहपूर्व यौन-सम्बन्ध, विवाहेत्तर संबंधों आदि समस्त दोषों से दूर रहेंगे.

नौवां फ़ायेदा यह है कि आप समाज में उन बिमारियों से दूर कम कर सकेंगे जो ला-इलाज हैं मसलन- AIDS आदि

दसवां फ़ायेदा यह होगा कि जब आपकी मृत्यु होगी, आप शांति से मृत्यु को प्राप्त होंगे, कब्र की और उसके बाद की ज़िन्दगी भी खुशमय होगी, अविनाशी सुख के भोगी होंगे, आपकी मौत पर आपका साथ पाने के लिए अप्साए लालायित होंगी, वे स्वर्ग (जन्नत) में आपकी मुक़र्रर (आरक्षित) जगह तक ले जाएँगी, आखिरी दिन (क़यामत के दिन, हिसाब-किताब के दिन) आप सारे नबियों, पैगम्बरों (ईश्वर के संदेष्टाओं) जैसे- हज़रत नूह (अ.स.), हज़रत इब्राहीम (अ.स.), हज़रत मूसा (अ.स.), हज़रत ईसा (अ.स.) और हज़रत मुहम्मद (अल्लाह की उन पर शांति हो) को देख सकेंगे और उनसे मुलाक़ात कर सकेंगे. आप अपने सरे दोस्तों, रिश्तेदारों, गर के फर्दों और महबूब को देख सकेंगे. आप जन्नत में अनंत जीवन व्यतीत करेंगे. (अल्लाह बेहतर जानने वाला है)

जो लाभ या फ़ाएदे और अन्य लाभ जो यहाँ अंकित नहीं कर सका, को आप दुनिया भर की दौलत देकर भी नहीं ख़रीद सकते. तो क्या आप राज़ी है इस दावा को स्वीकार करने के लिए....!??? 

कल कभी नहीं आएगा.

- सलीम खान

तैमूर’ नाम से कुढ़ने वाले यह लेख पढ़े

*******तैमूर’ नाम से कुढ़ने वाले यह लेख पढ़े
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डियर तैमूर हेटर्स,
अप्रैल 1398 में तैमूर समरकंद से भारत को जीतने निकला। दिल्ली पर मुसलमानों का शासन था। सुल्तान नसीरउद्दीन महमूद शाह तुगलक था। बढ़ते हुए तैमूर दिसंबर में पानीपत पहुंचा। 13 दिसंबर को पानीपत में दो मुसलमानों की लड़ाई हुई। दोनों इस्लाम के फॉलोवर। दिल्ली का सुल्तान 40 हजार पैदल सिपाहियों और 10 हजार घुड़सवारों के साथ निकल पड़ा। क्यों निकला? देश बचाने के लिए निकला। किसके लिए निकला ? जनता के लिए। जनता कौन? हिंदू और मुसलमान।

यदि उस समय संघियों की तरह सुल्तान की विचारधारा होती तो सुल्तान कहता,’अरे अपना मियाँ भाई है तैमूर, मिल कर काटते हैं हिंदुओं को, आओ भाई गले लगो।’ लेकिन सुल्तान तो ठहरा सुल्तान , उसे हिंदू-मुसलमान से क्या मतलब ? लड़ा वह तैमूर से। और तैमूर संघी होता तो क्या करता ? वह कहता यार दिल्ली में तो अपने मुसलमान का राज है, क्या मतलब वहां हमला करने का? मिल बैठ कर राज चलाते हैं। पर उसने ऐसा नहीं किया क्योंकि तैमूर आरएसएस की शाखा में नहीं जाता था। यदि जा रहा होता शाखा में तो धर्म देख कर हर मामले पर आगे बढ़ा करता। चीज़ों को तय किया करता। राजाओं का काम होता था लूटने/मारने का जैसे अशोक का था। जैसे अकबर का था।सभ्यताओं के मूल में संघर्ष पाया जाता है।

गलत या सही धर्म के आधार पर करेंगे तो घाटे में रहेंगे। क्योंकि झूठ अधिक देर तक ठहरता नहीं है।आपको सुल्तान नसीरउद्दीन महमूद शाह तुगलक से भी उतनी ही नफरत है जितनी की तैमूर से। आपको धर्म देखना होता है जहां भी मुसलमान नाम दिखता है। आपको तो यह भी नहीं पता की बाबर ने पहली गर्दन जिसकी उड़ाई वह इब्राहिम लोधी था। आप बाबर को राजा के बजाए मौलवी बना देते हैं। और फिर हर मुसलमान को उस मौलवी का फॉलोवर।

शासक थे सब।शासन करते थे। आज की तरह आरएसएस की शाखा में जाकर कथित हिंदू राष्ट्र बनाने की कसम नहीं खाते थे वे सब। भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्रियों की तस्वीरें संघ के गणवेश में मिल जाएंगी। मोहन भागवत क्लास लेते दिख जाएंगे। देख लीजिए। मुझे मंदिर में जाने और टीका लगाने से आपत्ति नहीं है। मैं आरएसएस को हिंदुओं का प्रतिनिधित्व करने वाला नहीं मानता। उनकी विचारधारा को देश की विचारधारा नहीं मानता।

असल में  "तैमूर" के नाम पर जिन्हें आपत्ति हो रही है वे नफरत न सिर्फ "तैमूर" या तुगलक से करते हैं बल्कि उनकी नफरत अनस से है, अब्दु्ल्ला से है, फरहान से है। वे मुसलमानों के अस्तित्व से घबराते हैं। डरपोक लोग हैं। नाम से डरते हैं।

कोहराम न्यूज़ ....