Saturday, 28 January 2017

Maharban Ansari kairana

दोनों आलम में तेरे हुकुम को चलते देखा
बिन तेरे हुकुम के पत्ता भी हिलता ना देखा
बदला दुनिया का चलन और हर एक से बदली
हमने कुरऑन को अब तक ना  बदलते देखा
कौन कहता है कि दुश्मन जीने नहीं देता
गोद फिरौन की और मूसा को पलते  हुए देखा
ए उमर आप तो क्या है हमारे नबी के आगे
अच्छे-अच्छों को इरादों को बदलते देखा
सरकारे मदीना ने जिन को किया है रोशन
उन चरागों को हवा में भी जलते देखा
क्या अजब शान अल्लाह अली की देखो
डूबे सूरज को इशारों पर पलटते हुए देखा
लाख चाहा सद्दाद ने कजा से बचना
पर सितम वक्ते  कजा हमने न टलते देखा
Maharban Ansari 8791477582 


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