Saturday, 21 January 2017

Shayri

कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हर एक घर के लिए,
कहाँ चिराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए !
वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता,
मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिए !!मेहरबान कैरानवी

8791477582

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